भावाअशिप - वर्षा वन अनुसंधान संस्थान, जोरहाट, असम(भारत)
ICFRE - Rain Forest Research Institute, Jorhat

केंद्र - बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र, आइज़ॉल, मिजोरम

परिचय:

बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र, आइज़ॉल, मिजोरम; पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की एक स्वायत्त निकाय भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.), देहरादून  के तत्वावधान में नौ संस्थानों और चार केंद्रों में से एक है।

बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र, आइज़ॉल; वर्षा वन अनुसंधान संस्थान, जोरहाट, असम की एक इकाई के रूप में वर्ष 2004 में आइज़ॉल, मिजोरम में स्थापित किया गया था, जो कि स्थायी वित्त समिति, पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार के निर्णयानुसार है। केंद्र का उद्घाटन श्री नमो नारायण मीणा, माननीय राज्य मंत्री, पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 29 नवंबर 2004 को वेंगथलांग, आइज़ॉल में किया गया था। यह केंद्र भारत में पूर्वोत्तर लोगों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान हेतु अपनी तरह का पहला केंद्र है जो बाँस और बेंत पर केंद्रित है।

 

अधिदेशः

1- पूर्वोत्तर क्षेत्र में बाँस और बेंतों पर केंद्रित अनुसंधान करना।

2- वन संसाधनों, विशेष रूप से बाँस और बेंत के संरक्षण और सतत उपयोग हेतु उपयोगकर्ता समूहों के लिए उपलब्ध प्रौद्योगिकियों / प्रक्रियाओं / उपकरणों का प्रसार करना।

3- अपने अधिकार के क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षा एवं विस्तार में मुख्य संस्थान का समर्थन करना।

 

मुख्य अनुसंधान क्षेत्र:

केंद्र निम्नलिखित क्षेत्रों में बाँस और बेंत पर सक्रिय अनुसंधान कार्य में शामिल है:

1- संरक्षण और सतत उपयोग।

2- बाँस और बेंत के जर्मप्लाज्म बैंक की स्थापना।

3- बाँस वाटिका और बेंत वाटिका की स्थापना।

4- पौधे उगाने के साथ-साथ पौधशाला तकनीक में अनुसंधान।

5- स्थूल और सूक्ष्म तकनीक के माध्यम से प्रवर्धन करना।

6- आनुवंशिक सुधार - क्लोनल गार्डन, प्रमाणन आदि।

7- मूल्यवर्धन,बाँस की खाद्य कोंपलों के प्रसंस्करण हेतु तकनीक आदि।

8- बाँस कंपोजिट सहित उत्पाद विकास।

9- बाँस संबंधी कार्य करने हेतु बाँस आधारित उपकरण / मशीन।

10- हितधारकों को बाँस आधारित ज्ञान और प्रौद्योगिकी का विस्तार।

 

भौगोलिक अधिकारिता:

केंद्र का उद्देश्य पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों अर्थात् अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम में बाँस और बेंत संबंधित अनुसंधान आवश्यकताओं को पूरा करना है। इसके अलावा, केंद्र को मिज़ोरम, त्रिपुरा और असम राज्य के बराक घाटी में वर्षा वन अनुसंधान संस्थान की विभिन्न अनुसंधान गतिविधियों में सहायता करने का कार्य सौंपा गया है।

 

प्रमुख उपलब्धियां:

1- अनुसंधान (http://icfre.gov.im/frcbr)

1 - जर्मप्लाज्म का संरक्षण:

बाँस की अट्ठाईस प्रजातियों जिसमें बम्बुसा बम्बोस, बंबुसा वुल्गेरिस, बंबुसा वुल्गेरिस वर स्ट्राइटा, बंबूसा वुल्गेरिस सी.वी. वामिन, चिमोनोबामुसा कैलोसा, सिनरुंडिनारिया फाल्काटा, बम्बुसा नूतन्स, स्यूडोसैसा जापोनिका, डेंड्रोकलामस सिक्किमेनसिस, बम्बुसा बालकोआ, डेंड्रोकलामस लॉन्गिसपाथस, डेंड्रोकलामस हैमिल्टोनी, डेंड्रोकलामस गीगांटेयस, स्चिज़ोयम पेर्ग्रेसील, थ्रियोस्टैकिस ओलिवेरी, मेलोकाना बेसीफेरा, शिजोस्टाचियम डुलोआ, मेलोकलामस कॉम्पैक्टिफ़्लोरस, बम्बुसा मिज़ोरमियाना, डेंड्रोकलामस स्ट्रिक्टस, बंबुसा ख़ासियाना, फ़ाइलोस्टैकिस मनि, सैसा फोर्चूनी, डेंड्रोकलामस एलेम्टीसी, डेंड्रोकलामस मोकोकचुंगाना, बंबुसा टुल्डा, बंबुसा डेंम्पेसेना और डेंड्रोकलामस एस्पेर सम्मिलित हैं और बेंत की ग्यारह प्रजातियों जिसमें कैलामस फ्लैगेलम, कैलमस टेनुसुस, कैलमस ग्रैसिलिस, कैलमस फ्लोरिबंडस, डेमोनोरोप्स जेनकिंसियनस, कैलमस गुरूबा, कैलमस लैटीफोलियस, कैलमस नाम्बरीयेनसिस, प्लैक्टोकोमिया खसियाना, कैलमस खिसियानस, कैलामस एकेन्यथोपाथस का बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र द्वारा अपने परिसर वेंगथलांग, आइज़ॉल, मिजोरम में रख-रखाव किया जा रहा है।

2 - बाँस और बेंत की पगडंडी की स्थापना:

विस्तार के उद्देश्य से बाँस और बेंत की ऊपरलिखित प्रजातियों की विस्तृत जानकारियों सहित कृषक छात्रावास और कार्यालय सह प्रयोगशाला भवन को जोड़ने वाली सड़क पर एक पगडंडी की स्थापना की गई है। यह जानकारी कृषकों / आगंतुकों / स्कूल / कॉलेज के छात्र आदि के लिए बहुत उपयोगी है।

3 - जर्मप्लाज्म बैंक की स्थापना:

खाद्य बाँस की विभिन्न प्रजातियों जैसे कि मेलोकाना बेसीफेरा एवं डेंड्रोकलामस लॉन्गिस्पैथस, पर्किया रॉक्सबर्गि और विभिन्न महत्वपूर्ण अकाष्ठ वन उत्पादों के विभिन्न एक्सेसन्स उनके विभिन्न मापदंडों पर भविष्य में अध्ययन हेतु मिजोरम के विभिन्न स्थानों से एकत्र करके बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र के परिसर में प्रत्येक को 0.5 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाया गया है। वर्षा वन अनुसंधान संस्थान, जोरहाट, असम द्वारा पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न क्षेत्रों से एकत्र किए गए अगर प्रजाति के 20 क्लोन जिसमे प्रत्येक के चार प्रतिकृति भी हैं के जर्मप्लाज्म बैंक को भी बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र में संरक्षित किया गया है।

4 - नर्सरी तकनीक:

बाँस और रतन के लिए सामान्य नर्सरी तकनीक विकसित की गई है और बाँस और रतन की खेती और प्रचार पर पैम्फलेट प्रकाशित किए गए हैं।  प्रदर्शनी और वी.वी.के. प्रशिक्षण के दौरान सुबोध और वितरण के लिए पैम्फलेट की सामग्री को मिजो भाषा में भी अनुदित किया गया है। स्थानीय प्रशिक्षुओं के लाभ हेतु स्थानीय भाषा में मल्टी-मीडिया सामग्रियों की डबिंग की जा रही है।

5 - बाँस का सूक्ष्म प्रवर्धन:

राज्य वन विभाग, मिजोरम के सहयोग से एक टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना और संचालन किया जा रहा है। वर्तमान में टिशू कल्चर से डी. लांगीसपाथस और बी. वामिन के पौधों को ए.आर.सी.बी.आर. (ARCBR)  के क्षेत्र में उगाया गया है। डेंड्रोकलामस गिगेंटस और शिज़ोस्टैकियम डुलोआ पर सूक्ष्म प्रवर्धन प्रसार शुरू किया गया है।

 

2- विस्तार (http://icfre.gov.im/frcbr)

 

1 - प्रयोगशालाओं की स्थापना:

बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र में पादप रोगविज्ञान और लाइकेनोलॉजी प्रयोगशालाओं को भा.वा.अ.शि.प. से प्राप्त अनुदान की मदद से चल रही अनुसंधान परियोजनाओं के अंतर्गत वर्ष 2014 से स्थापित कर संचालित किया जा रहा है। वर्तमान में ये प्रयोगशालाएँ संबंधित अनुसंधान कार्य करने हेतु पूरी तरह से सुसज्जित हैं।

2 - प्रकाशन:

ए.आर.सी.बी.आर. के शोध-पत्र/लेख/सार, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं/शोध-पत्रिकाओं और संगोष्ठी/सम्मेलनों आदि की समीक्षा में प्रकाशित होते हैं।

 

3 - सोलर ड्रायर:

REDD+ पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत 150 किलोग्राम की क्षमता का सोलर ड्रायर खरीदा गया है और समुदायों के उपयोग के लिए ग्रांम- रेइक, जिला- ममित, मिजोरम में स्थापित किया गया है।

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4 - संगोष्ठी का आयोजन:

‘पूर्वोत्तर भारत में बाँस एवं बेंत पर आजीविका के अवसर’ विषय पर पहली क्षेत्रीय स्तर की संगोष्ठी दिनांक 14 मार्च, 2015 को महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प. (ICFRE) की उपस्थिति में बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र द्वारा आयोजित किया गया था। पूर्ण शोध-पत्र और सार पुस्तिका का विमोचन किया गया। संगोष्ठी की कार्यवाही भी प्रकाशित हुई। संगोष्ठी में भा.वा.अ.शि.प., व.व.अ.सं., बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र, मिजोरम तथा और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के वन विभागों और मिजोरम विश्वविद्यालय से कुल 45 प्रतिभागियों ने भाग लिया और अपने शोध-पत्र पढ़ें।

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REDD+ क्षमता निर्माण और REED+ हिमालय पर परियोजना प्रारंभ कार्यशाला: हिमालय में REDD के कार्यान्वयन में अनुभव का उपयोग एवं विकास, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् (बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र) और पर्यावरण और वन विभाग, मिजोरम सरकार द्वारा संयुक्त रूप से दिनांक 28-29 जनवरी, 2016 को आइज़ॉल, मिजोरम में आयोजित किया गया।

 

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राज्य REDD+ एक्शन प्लान के विकास पर दो दिवसीय (9-10, मार्च, 2017) अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया

 

5 - कार्यवाही:

बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र ने ‘पूर्वोत्तर भारत में बाँस एवं बेंत पर आजीविका के अवसर’ विषय पर क्षेत्रीय संगोष्ठी की कार्यवाही का प्रकाशन किया।

 

पता-

प्रमुख

बाँस एवं बेंत वन अनुसंधान केंद्र, आइज़ॉल, मिजोरम

वेंगथलांग वेस्टिंग्लैंग, आइज़ॉल, मिजोरम 796007

फोन- + 91-389- 2301157

ईमेल- dir_arcbr@icfre.org